मेरा नाम संजय पाराशर है, मध्य प्रदेश के खरगोन का रहने वाला हूँ ....मेरी शैक्षणिक योग्यता एम.ए. इंग्लिश ,पोलिटिकल साइंस, एलएल.बी. है, मेरा पेशा पत्रकारिता है.. स्वभाव से मै गंभीर ,चिडचिडा,गुस्सैल ,दयालु,यारबाज व प्रेमी किस्म का व्यक्ति हूँ, ओशो सन्यास दीक्षा लेने के बाद मुझे महसूस होने लगा है की जीवन तो मुझ पर से प्रवाहित हो रहा है... अब तक मै बेवजह मेरे और मुझपर प्रवाहित हो रहे जीवन के मध्य अवरोध बना हुआ था.... बच्चो के संग डांस करने में मुझे आनंद की अनुभूति होती है.. एक सामाजिक कार्यकर्त्ता के बतौर मैंने जनहित में कई आन्दोलन किये.. एक समय था जब मेरी जुबां वर्तमान व्यवस्थाओं के खिलाफ आग उगलती रही...फ़िलहाल वक़्त ने मुझे खामोश कर रखा है...मुझे जगमोहन, टी.एन. शेषन, जे.एम्.लिंगदोह, अनिरुद्ध मुकर्जी ( आई.ए.एस.) की क्रन्तिकारी,ईमानदारी, तथा एक देशप्रेमी के समान कार्यप्रणाली काफी पसंद आती है!
खैर...
मेरे ब्लॉग पर आपका आत्मीय अभिनन्दन है..
सादर वन्दे !
ReplyDeleteभाई वाह !
लगता है आप का भिड़ा कही टांका है,
सुन्दर !
रत्नेश त्रिपाठी
वाह क्या बात है! अत्यंत सुन्दर!
ReplyDeleteBHAI MERE!
ReplyDeleteMAZA AA GAYA.....
KURBAAN!
मुझको देख दरवाजे-खिड़की बंद करने वाली॥
ReplyDeleteमुझे यकीं है तुने दरारों से झाँका है॥
bahut hi pyari si bat likhi hai..
chaar panktiyon mein poora haal likh diya..bahut sundar!
सुन्दर !
ReplyDelete