हज़ार फूल कम है, इक दुल्हन को सजाने के लिए एक फूल काफी है, अर्थी पर बिछाने के लिए हज़ार खुशियाँ कम है, इक गम को भुलाने के लिए एक गम काफी है, जिन्दगी भर रूलाने के लिए
baat chahe kahud kahi gayee ho ya suni gayee ho par uska main maksad ek satik baat ka doosron tak pahuchana hota hai baki to fir sabka apna apna sach hai hi...........inme bhi kuch isi tarah ke bhav chupe hue hain
मेरा नाम संजय पाराशर है, मध्य प्रदेश के खरगोन का रहने वाला हूँ ....मेरी शैक्षणिक योग्यता एम.ए. इंग्लिश ,पोलिटिकल साइंस, एलएल.बी. है, मेरा पेशा पत्रकारिता है.. स्वभाव से मै गंभीर ,चिडचिडा,गुस्सैल ,दयालु,यारबाज व प्रेमी किस्म का व्यक्ति हूँ, ओशो सन्यास दीक्षा लेने के बाद मुझे महसूस होने लगा है की जीवन तो मुझ पर से प्रवाहित हो रहा है... अब तक मै बेवजह मेरे और मुझपर प्रवाहित हो रहे जीवन के मध्य अवरोध बना हुआ था.... बच्चो के संग डांस करने में मुझे आनंद की अनुभूति होती है.. एक सामाजिक कार्यकर्त्ता के बतौर मैंने जनहित में कई आन्दोलन किये.. एक समय था जब मेरी जुबां वर्तमान व्यवस्थाओं के खिलाफ आग उगलती रही...फ़िलहाल वक़्त ने मुझे खामोश कर रखा है...मुझे जगमोहन, टी.एन. शेषन, जे.एम्.लिंगदोह, अनिरुद्ध मुकर्जी ( आई.ए.एस.) की क्रन्तिकारी,ईमानदारी, तथा एक देशप्रेमी के समान कार्यप्रणाली काफी पसंद आती है!
खैर...
मेरे ब्लॉग पर आपका आत्मीय अभिनन्दन है..
यह तो सही मे सुनी सुनाई है .. दोनो ... अच्छा यह वर्ड वेरिफिकेशन तो हटा लो इससे दिक्कत होती है ।
ReplyDeletechahe laakh suni -sunai baat ho par har shabd ek sach bhara sandesh deti hai.
ReplyDeletepoonam
baat chahe kahud kahi gayee ho ya suni gayee ho par uska main maksad ek satik baat ka doosron tak pahuchana hota hai baki to fir sabka apna apna sach hai hi...........inme bhi kuch isi tarah ke bhav chupe hue hain
ReplyDeletesachchhai bayaan kar di aapne
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