Saturday, April 24, 2010

तुकबंदी

मर कर भी हम तो थिरकते गुनगुनाते नज़र आएँगे !
जिंदा हो कर भी वे तो कब्र में लेटे नज़र आते है !!

Monday, April 5, 2010

रामदेव बाबा का कदम

रामदेव बाबा ने नई पार्टी अवश्य बना ली है, किन्तु प्रश्न यह उठता है की उनकी पार्टी के मतदाता कौन होंगे !कुछ उचित लोग बाकि के वे सभी जो आजादी के बाद से ही दो कौड़ी,शराब आदि में बिकते रहने वालो की भीड़ होगी ! मेरी तो सहानूभूति है बाबाश्री के साथ ! लेकिन पार्टी बना डालने का मामला समझ से परे है! बाबा की पार्टी कुछेक प्रतिशत वोट काटने के अतिरिक्त कोई अधिक जादू दिखा सके मुश्किल लगता है !निःसंदेह बाबा इस समय देश के विराट व्यक्तित्व है ! कोई भी बड़ा दल उन्हें सप्रेम अपने में शामिल कर लेता ! समय आने पर बाबा आसानी से संसद व मंत्री भी बन सकते थे , और यही से वे उन्हें उपलब्ध विभाग को पूरी तरह सुधारने का प्रयास कर सकते थे! मै सोचता हूँ इसी प्रकार थोडा-थोडा कर देश में सुधार हो सकता है!
संजय पाराशर