Monday, May 24, 2010

सुनी-सुनाई-2

मेरा प्यार तेरे प्यार से बांका है।
लेकिन तुने कम आँका है ॥
मुझको देख दरवाजे-खिड़की बंद करने वाली॥
मुझे यकीं है तुने दरारों से झाँका है॥

सुनी-सुनाई- 1

कभी सर्दी कभी गर्मी मौसम के ये नज़ारे है .
प्यास उन्हें भी लगती है जो सागर के किनारे है ..

Tuesday, May 18, 2010

मान गए नेताजी ........

मान गए नेताजी -
देश को जातिवाद से मुक्त करने की बात आप करें .....
जाति के प्रमाण-पत्र बनाने की व्यवस्था भी आप ही करे.....
हम निहारते है उनकी प्रतिभा....
बनाने चाहते अभिन्न मित्र .....
आप उन्हें खड़ा करते हो उस लाइन में
जहाँ के कागजों से सिद्ध किया जाता हैं
इनका नाता प्रतिभा से नही है,
हमारे द्वारा बांटी जा रही खैरात से है .........