Monday, May 24, 2010

सुनी-सुनाई-2

मेरा प्यार तेरे प्यार से बांका है।
लेकिन तुने कम आँका है ॥
मुझको देख दरवाजे-खिड़की बंद करने वाली॥
मुझे यकीं है तुने दरारों से झाँका है॥

5 comments:

  1. सादर वन्दे !
    भाई वाह !
    लगता है आप का भिड़ा कही टांका है,
    सुन्दर !
    रत्नेश त्रिपाठी

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  2. वाह क्या बात है! अत्यंत सुन्दर!

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  3. मुझको देख दरवाजे-खिड़की बंद करने वाली॥
    मुझे यकीं है तुने दरारों से झाँका है॥

    bahut hi pyari si bat likhi hai..
    chaar panktiyon mein poora haal likh diya..bahut sundar!

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