Friday, March 26, 2010
उमा का इस्तीफा
उमा भारती को शायद यह ज्ञान उत्पन्न हो चुका है की राजनीति में उनका वजूद अब शून्य रह गया है ! पार्टी का निर्माण, फिर हजार प्रकार की बयानबाजी कर अपने समर्थको का विश्वास तोडना और अब पार्टी से इस्तीफा देकर किसी देवालय चले जाना यही दर्शाता है की वे अब अपनी टूटती महत्वाकंछाओ को अधिक सहन नहीं कर पा रही है !निश्चित ही यह प्राकृतिक न्याय कहा जा सकता है जो आज उमा की राजनीतिक हालत है! उमा ने अपनी महत्वकान्शाओ के चलते भगवा वस्त्रो की साधुता का मान भी नहीं रखा और प्रधानमंत्री बनने के स्वप्न के चक्कर में न केवल बीजेपी बल्कि उनके कट्टर समर्थको की राजनीति को भी नुकसान पहुचाया!इंदौर के बीजेपी अधिवेशन के बाद उमा ने निश्चित ही महसूस किया होगा की बीजेपी में उनके द्वार पूरी तरह बंद हो चुके और उनकी राजनितिक राह आसन नही है!
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