मान गए नेताजी -
देश को जातिवाद से मुक्त करने की बात आप करें .....
जाति के प्रमाण-पत्र बनाने की व्यवस्था भी आप ही करे.....
हम निहारते है उनकी प्रतिभा....
बनाने चाहते अभिन्न मित्र .....
आप उन्हें खड़ा करते हो उस लाइन में
जहाँ के कागजों से सिद्ध किया जाता हैं
इनका नाता प्रतिभा से नही है,
हमारे द्वारा बांटी जा रही खैरात से है .........
Tuesday, May 18, 2010
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हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
अच्छा लिखा है। लिखना जारी रखें। लिखने से ही लिखना आता है। अपने भावों को अभिव्यक्ति अवश्य दें। इस बात की परवाह नहीं करें कि अपकी रचना कैसी बन रही है। जब आप ईमानदारी से अपनी बात कहने का प्रयास करेंगे तो रचना अपने आप ही अच्छी बन जायेगी। शुभकामनाओं सहित।-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा निरंकुश, सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है। इसमें वर्तमान में ४२८० आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)। फोन : ०१४१-२२२२२२५ (सायं : ७ से ८)
ReplyDeleteएक अच्छा व्यंग हो सकता था लेकिन भावों में बिखराव आ गया.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
ReplyDeleteअच्छा व्यंग । जाति आधारित गणना बहुत गंभीर विषय है । यह पूरी व्यवस्था की चाल को उलट देने वाला दूरगामी परिणाम वाला निर्णय है ।
ReplyDeleteशुक्रिया
ReplyDeleteand welcome.
Bahut khub likha hai.badhai.
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